-पंजाबी साहित्यकार रहे स्व. हरचंद सिंह खुशदिल की याद में…
डिजिटल युग मे क्या हिन्दी अपना अस्तित्व बचा पाएगी विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन
-पूरे देश को एक सूत्र में जोड़ती है राष्ट्रभाषा हिंदी: डा. शिशु पाल
डबवाली इलाके की प्रमुख संस्था वरच्युस क्लब के सहयोग से नव प्रगति सीनियर सेकेंडरी स्कूल प्रबंधन ने हिन्दी दिवस पर स्कूल प्रांगण में ‘डिजिटल युग मे क्या हिन्दी अपना अस्तित्व बचा पाएगी’ विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया। इस अवसर पर विद्यालय के प्राथमिक विभाग में निबंध लेखन प्रतियोगिता और वरिष्ठ माध्यमिक विभाग में पत्र वाचन प्रतियोगिता भी करवाई गई।
विद्यालय शिक्षकों बलजिंदर कौर, अमनदीप, कर्मजीत शर्मा, बबली, नीरज और सुनीता आदि शिक्षिकाओं ने अपने वक्तव्य में कहा कि वर्तमान काल में गूगल मीट एप पर लगभग सभी संस्थाओं की साहित्यिक विचार गोष्ठिया, वेबिनार कवि सम्मेलन आदि सफलता पूर्वक आयोजित किए जा रहे हैं । भाषा वैज्ञानिक आज इस डिजिटल युग में हिन्दी भाषा पर अपने नए नए अनुसंधान और प्रयोग कर रहे हैं ताकि कम्प्यूटर और इलैक्ट्रोनिक मीडिया के क्षेत्र में नए-नए शब्दों को हिन्दी भाषा में अपने स्वरूप में सरलीकरण करके प्रयोग किया जा सके। आज हिंदी से जुड़े कई एप मोबाइल और एंड्रॉयड स्मार्टफोन इत्यादि में उपलब्ध हैं।
क्लब सचिव नरेश शर्मा ने कहा कि हिन्दी भाषा को रोजमर्रा के जींवन में प्रयोग करने से हिन्दी के प्रति आदर और सम्मान बढ़ेगा और साथ साथ भाषायी चुनौतियों को स्वीकार भी करना पड़ेगा। प्रबधक समिति के वरिष्ठ सदस्य परमजीत कोचर ने कविता के माध्यम से मातृ भाषा हिंदी का गुणगान किया। विद्यालय प्रबधक डॉ वेद प्रकाश भारती ने कहा कि हिन्दी का हृदय बहुत विशाल है, उसने अन्य भाषाओं के शब्दों को इस तरह समाया है जैसे उसके अपने ही शब्द हों, परंतु हिन्दी के शब्दों की एक अपनी महता है क्योंकि हिन्दी संस्कार और संचार की भाषा है इसे बोलने में गर्व महसूस करें।
वहीं, मुख्य वक्ता डॉ शिशुपाल ने हिन्दी पर विचार रखते हुए कहा कि हमे मूल रूप में हिन्दी के शब्दों की आत्मा और प्रकृति को समझना होगा क्योंकि यह हमारी राष्ट्र भाषा है जो पूरे देश को एक सूत्र से जोड़ती है। इस अवसर पर डॉ शिशुपाल ने बच्चों द्वारा व्याकरण में होती अशुद्धियों पर प्रकाश डाला। संजीव शाद ने कहा कि हिन्दी कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत की अनेकता में एकता बनाए रखने वाली भाषा है। हिन्दी हमारे माथे की बिंदी है।
अंत में विद्यालय प्राचार्या चंद्र कांता ने आए हुए अतिथियों का धन्यवाद करते हुए कहा कि जो भरा नहीं है भावों से, बहती जिसमें रसधार नहीं, हृदय नहीं पत्थर है वो जिसको स्वदेश से प्यार नहीं और कहा कि भाषा संप्रेषण का सशक्त माध्यम होने के साथ ही संस्कृति की संवाहक भी होती है। भाषाएं सभी सम्माननीय हैं परंतु हिंदी हमारी मां है और मां सदैव सर्वोच्च होती है। इस अवसर पर बेबी इशिता ने कविता-नारी का सम्मान करो की अपनी भाव भंगिमाओं से बेहतरीन प्रस्तुति दी। हिंदी व्याख्याता रेखा ने हिंदी के कवियों के दोहे चौपाई और छंदों अंलकारों से ओतप्रोत मंच संचालन बड़ी खूबसूरती से किया।
इस अवसर पर वरच्स क्लब प्रधान हरदेव गोरखी, उप प्रधान जतिंद्र जीतू, क्लब प्रबधक समिति से जतिंद्र शर्मा, अनुशासन अधिकारी मनोज शर्मा लवली, पीआरओ सोनू बजाज, प्रणव ग्रोवर, सुखविंदर चंदी, रमेश सेठी विपन बांसल व विद्यालय का स्टाफ और अन्य हिंदी प्रेमी गणमान्यजन आदि इस सेद्गिनार में उपस्थित रहे।
Virtuous Club India